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जिंदगी का ठिकाना




शक्ति छंद
मात्रा भार 18
मापनी 122 122 122 12

चलो प्यार करते बने जिंदगी।
रखो स्नेह दिल से करो बंदगी।।

नहीं जिंदगी का ठिकाना यहां।
चलेगा न कोई बहाना यहां।।

बहो वेग में नीर धारा बनो।
गगन का सदा शुभ सितारा बनो।।

बनो वृक्ष फलदार जग के लिए।
रहे कामना दिव्य सबके लिए।।

मनोरथ यही एक सबमें जगे।
सदा यह जगत शुभ्र मधुरिम लगे।।

सभी में रहे भाव निर्मल सदा।
इसी जीवनी का नशा सर्वदा।।

रहे कर्म मोहक यही चाव हो।
बहे धर्म पावन यही भाव हो।।

बनें शांति के दूत मानव यहां।
दिखाई न दें दुष्ट दानव यहां।।

चले जात सब हैं न रुकते यहां।
गमन आगमन सिलसिला है यहां।।

रचनाकार.. डॉक्टर रामबली मिश्र
9838453801

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5 Comments

Haaya meer

02-Nov-2022 05:44 PM

Amazing

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Sachin dev

02-Nov-2022 04:33 PM

Shandar

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जी बेहतरीन रचना।

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